सरकारी सेवक कमला खड़ायत की बेटी की तरह हुई विदाई, विपरीत हालत और तमाम चुनौतियों के बाद भी 32 साल तक स्वास्थ्य विभाग में दी अपनी सेवाएं।

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उत्तराखंड

विपरीत हालत और तमाम चुनौतियों के बाद भी 32 साल तक स्वास्थ्य विभाग में अपनी सेवाएं देने के बाद कमला खड़ायत अपने पद से रिटायर हो गईं हैं। कमला खड़ायत ने बतौर ANM अपनी सर्विस की शुरुआत ऐसे दौर में की जबकि लड़कियों की शिक्षा पर बहुत कम ध्यान दिया जाता था और जागरुकता की भी बहुत कमी थी। इसके बावजूद कमला खड़ायत ने ना सिर्फ अपनी पढ़ाई पूरी की बल्कि समाजिक चुनौतियों से बाहर निकलर अपनी काबलियत और हौसले के दम पर सरकारी नौकरी भी हासिल की। अविभाजित उत्तर प्रदेश में साल 1989 में कमला खड़ायत को पहली पोस्टिंग पहाड़ से बहुत दूर आगरा में मिली। उस दौर में आवाजाही के साधन भी इतने ज्यादा नहीं थे फिर भी तमाम परेशानियों के बावजूद परिवार से दूर कमला खड़ायत ने अपनी सेवा शुरु की। शुरुआती दिनों से ही बेहद लगन और मेहनत के साथ काम किया। बाद में मथुरा और फिर उत्तराखंड के चंपावत जिले में तैनाती मिली।

चंपावत में अलग-अलग हेल्थ सेंटर्स में अपनी सेवाएं देते हुए कमला खड़ायत ने लोगों की खूब सेवा की। अपनी जिम्मेदारी के आगे उन्होंने किसी चुनौती या परेशानी को नहीं आने दिया। हर परिस्थिति का डटकर मुकाबला किया और लोगों के बीच अपनी अलग पहचान बनाई। काम करने की शानदार शैली और मिलनसार स्वभाव की वजह से वो अपने इलाके में सबकी चहेती बन गईं। यही वजह है कि जब रिटायरमेंट का वक्त आया तो लोगों ने उन्हें बेहद शानदार विदाई दी। रिटायरमेंट के करीब 2 हफ्ते पहले से ही नौमाना, गल्ला गांव समेत आस-पास के तमाम गावों में विदाई समारोह आयोजित किये गए। सभी लोगों ने पूरे सम्मान के साथ एक सरकारी सेवक को विदाई दी। लोगों के इस सम्मान भाव और उनके लगाव से कमला खड़ायत की कार्यशैली का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। नौमाना और गल्ला गांव के लोगों ने तो कमला को अपनी बेटी की तरह विदा किया और हमेशा संपर्क बनाए रखने की गुजारिश भी की।

उत्तराखंड में स्वास्थ्य विभाग और उसके कर्मचारियों को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं लेकिन 32 साल के लंबे करियर में कमला खड़ायत के ऊपर कोई आंच नहीं आई। पूरी निष्ठा के साथ काम किया और लोगों की सेवा की। कोरोना महामारी के दौरान भी कमला खड़ायत ने अपनी सेहत की परवाह किए बिना अपनी जिम्मेदारी को प्राथमिकता दी। कोरोना की पहली लहर हो या दूसरी लहर उन्होंने लोगों को लगातार जागरुक किया और उनकी सेवा की। इसी तरह वैक्सीनेशन में भी अहम योगदान दिया। ड्यूटी को लेकर इसी लगन और संजीदगी की वजह से रिटायरमेंट से ठीक पहले कमला खड़ायत को स्वास्थ्य विभाग ने प्रमोशन भी दिया। कमला खड़ायत जिस भी सेंटर में रहीं वहां उन्होंने लोगों की सेवा अपने परिवार के सदस्यों की तरह ही की, इसीलिए रियारमेंट के वक्त लोग ना सिर्फ भावुक हो गए बल्कि कमला खड़ायत को बेहतर भविष्य के लिए शुभकामनाएं भी दीं।

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