राजधानी की बेशकीमती जमीनों पर भू-माफिआओं की नजर, प्रशासन की नाक के नीचे चल रहा है जमीने कब्जाने का बड़ा खेल

633 views          

  • राजधानी की बेशकीमती जमीनों पर भू-माफिआओं की नजर
  • प्रशासन की नाक के नीचे चल रहा है जमीने कब्जाने का बड़ा खेल
  • भू-माफिआओं के हौसले इतने बुलंद कि, प्रशासन के बोर्ड उखाड़ फेंक, सैकड़ों बीघा जमीन की कर डाली खरीद-फरोख्त

राजधानी देहरादून के आरकेडिया ग्रांट के चंद्रमणि चोयला के पटियों गाँव की बेशकीमती जमीनों पर कुछ भू-माफिआओं की नजर पड़ गयी है और इन लोगों ने सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर कर फ़र्ज़ी रजिस्ट्रियां तैयार कर निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया है।

वही इन जमीनों से लगती भूमि वन विभाग की भी है, लेकिन वन विभाग भी इन लोगों से अपनी जमीनें नहीं बचा पा रहा है। कारण ये है कि खसरा नंबर 2067 क्षेत्र की कुछ भूमि, धारा 4, भारतीय वन अधिनियम के अंतर्गत निहित है और जब तक प्रशासन द्वारा धारा 20 तक की कार्यवाही नहीं हो जाती, तब तक वन विभाग भी इस भूमि पर अपना हक नहीं जता पा रहा है और इसी का फायदा उठाकर बाहरी राज्यों से आये कुछ भू-माफिया स्थानीय लोगों के साथ मिलकर इस भूमि को खुर्द-बुर्द करने में लगे है और आराम से इस भूमि की खरीद-फरोख्त कर रहे है।

आपको बता दे कि, इस सम्बन्ध में हाई कोर्ट में एक वाद भी दाखिल किया गया था, जिस पर हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी देहरादून को आदेशित किया था कि इस भूमि का संयुक्त सर्वे कर सीमांकन करते हुए अवैध अतिक्रमण को हटाया जाये। जिस पर वन विभाग, एमडीडीए और प्रशासन की टीम ने साल 2016 में इस भूमि का संयुक्त सर्वे किया था, और मई 2016 में ही तत्कालिक मसूरी एसडीएम जितेद्र कुमार ने एक आदेश एमडीडीए, वन विभाग और राजस्व विभाग को दिया था कि, उपरोक्त भूमि का फिर से सीमांकन किया जाये। साथ ही उप जिलाधिकारी सदर देहरादून के आदेशानुसार अवैध अतिक्रमण को हटाया जाये। बावजूद इसके इन आदेशों पर भी सम्बंधित विभागों ने कोई कार्यवाही नहीं की। हालांकि इन विभागों ने यहाँ एक बोर्ड जरूर लगाया गया था जिसमे साफ़ लिखा था कि ये भूमि धारा 4, भारतीय वन अधिनियम के अंतर्गत नोटिफाईड वन भूमि है और इस पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण व निर्माण कार्य करना या भूमि का क्रय-विक्रय करना पूरी तरह से प्रतिबंधित और दण्डनीय अपराध है।

इसके अलावा प्रशासन ने भी बोर्ड लगाकर सुचना दी थी कि, उपरोक्त भूमि से सम्बंधित वाद न्यायालय में विचाराधीन है, बावजूद इसके कुछ भूमाफियों ने इन बोर्डों को ही मौके से हटा दिया और सैकड़ों बीघा भूमि की खरीद-फरोख्त कर डाली।

आपको ये भी बता दे कि इन भू-माफिआओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि इन्होने एक अनुसूचित जाति के गरीब परिवार की 25 बीघा पुश्तैनी जमीन पर गिरोहबंद कर कब्जा कर लिया और उन्हे जमीन से बेदखल कर डाला। इस जमीन के वारिस विपिन कुमार ने बताया कि उनके दादा की 25 बीघा जमीन आरकेडिया ग्रांट के चंद्रमणि चोयला के पटियों गाँव में है। जिस पर लगभग 250 फलदार वृक्ष लगे थे, इन्हें भी भू-माफियाओं ने काट डाला, साथ ही इस जगह बने उनके मंदिर को भी क्षतिग्रस्त कर दिया।

विपिन ने बताया कि, ये भू-माफिया दूसरे प्रदेश के आपराधिक किस्म के लोग है, जोकि उत्तराखड में आकर कुछ स्थानीय लोगों के साथ मिलकर जमीनों पर कब्जा कर रहे है। पीड़ित विपिन ने आप बीती सुनाते हुए कहा कि जब वे इन भू-माफियाओं की सूचना पुलिस को देते है तो उलटा पुलिस इन्हे ही लॉकअप में बंद कर देती है और उनका मानसिक उत्पीड़न किया जाता है।

वही इस प्रकरण में एमडीडीए के सचिव हरबीर सिंह का कहना है कि, इस सम्बन्ध में सूचना प्राप्त हुई थी कि कुछ लोग उक्त भूमि पर निर्माण आदि कर रहे है, जिस पर विभाग के अधिकारीयों ने मौका मुआयना कर  उक्त भूमि पर निर्माण आदि पर रोक लगाये जाने के आदेश दे दिए गए है।

इधर देहरादून के प्रभागीय वन अधिकारी राजीव धीमान ने बताया कि, खसरा नंबर 2067 क्षेत्र की कुछ भूमि धारा 4 की विज्ञप्ति सरकार ने कुछ समय पहले जारी कर दी थी और इसमें धारा 4 से धारा 20 तक आने की कार्यवाही जारी है। जिसमे एसडीएम सदर को ये सारी कार्यवाही करनी होती है और इस सम्बन्ध में उनके द्वारा भी एसडीएम सदर को पत्र प्रेषित किया गया है, जिमसे उक्त भूमि का संयुक्त सर्वे कर सीमांकन किये जाने के लिये निवेदन किया गया है, जिससे कि वन विभाग की भूमि भी हस्तांतरित हो पायेगी, साथ ही जो अन्य लोग इस भूमि पर अपना दावा कर रहे है वो भी साफ़ हो पायेगा।

ऐसे में इस पुरे प्रकरण में देखने वाली बात ये है कि इस भूमि को धारा 4 से धारा 20 करने में आखिर प्रशासन इतना समय क्यों लगा रहा है?
क्या प्रशासन को बाकी पड़ी जमीनों पर भी कब्जा किये जाने का इंतजार है?
या फिर खेल ही कुछ और है,,,?
अब कारण चाहे जो भी हो, लेकिन प्रशासन की सुस्त कार्यप्रणाली का फायदा उठाकर भू-माफिया धड़ल्ले से इन जमीनों पर बेखौफ होकर कब्ज़ा कर रहे है।

About Author

           

You may have missed