देहरादून
प्रसिद्ध समाजसेवी व पद्मश्री से सम्मानित अवधेश कौशल का मंगलवार तड़के निधन हो गया। देहरादून के एक निजी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। वे 87 वर्ष के थे । गैर सरकारी संगठन ‘रूरल लिटिगेशन एंड एनलाइटनमेंट केंद्र'(रूलक) के संस्थापक कौशल ने शिक्षा, पर्यावरण और मानवाधिकारों के लिए जीवनभर काम किया। बताया जा रहा है कि वे लंबे समय से बीमार थे और सोमवार से उनके अंगों ने काम करना बंद कर दिया था, जिसके बाद आज तड़के पांच बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
पद्मश्री अवधेश कौशल के निधन पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने शोक जताया। वहीं, उनके निधन से सामाजिक संगठनों में भी शोक की लहर है।बताते चलें पद्मश्री अवधेश कौशल रुलक (Avdhesh Kaushal) के संस्थापक थे। उन्होंने रूलक संस्था के माध्यम से कई सामाजिक कार्यों में न सिर्फ भाग लिया, बल्कि कई ज्वलंत समस्याओं के निस्तारण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिलने वाली अतिरिक्त सुविधाओं को लेकर भी उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसका परिणाम यह हुआ कि तमाम फिजूलखर्ची पर लगाम लगी।
इससे पूर्व 80 के दशक में भी अवधेश कौशल (Avdhesh Kaushal) की तूती बोलती थी। उन्होंने देहरादून मसूरी के बीच चूना भट्टा खदानों को बंद कराने में भी अहम भूमिका निभाई थी। जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और पर्यावरण सहित शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान दिया। समय समय पर वह कई मंचों पर सम्मानित भी होती रहे।
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