वी मुरुगेशन,निदेशक,विजिलेंस विभाग
देहरादून
कांग्रेस के वरिष्ट नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ती नज़र आ रही है । बुधवार को हरक सिंह रावत के बेटे के शंकरपुर स्तिथ दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस और उनके पेट्रोल पंप में विजिलेंस की टीम द्वारा छापेमारी की जा रही है । दिन से ही उनके ठिकानों पर विजिलेंस की टीम में बैठी हुई है और उनकी संपत्तियों की जांच की जा रही है। अवैध तरीके से अर्जित की गई संपतियो की जांच की जा रही है ।
निर्देशक विजिलेंस वी मुरुगेशन ने मामले की पुष्टि करते हुए जिम कॉर्बेट पार्क में अवैध कटान और सरकारी पैसों से खरीदी हुई संपत्ति प्राइवेट प्रॉपर्टी में मौजूद है जिसको लेकर विजिलेंस की टीमों ने हरक सिंह रावत की विभिन्न संपतियों को जांच की । दरअसल 2019 में जिम कॉर्बेट पार्क में जंगल सफारी बनाने को लेकर हजारों पेड़ काटे गए साथ ही कॉन्क्रेट की दीवारों के नाम पर सरकारी संपत्ति का दुरूपयोग हुआ है। उसे वक्त हरक सिंह रावत भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर थे और उन पर बीते वर्ष यह आरोप लगा था कि उनके संरक्षण में ही तत्कालीन डीएफओ किशन चंद ने सरकारी पैसों और नियमों का उल्लंघन करके पेड़ों का कटान किया था। मामले में पूर्व आईएफएस किशन चंद जेल से जमानत में बाहर है ।
साल 2019 में पाखरों रेंज में बिना वित्तीय स्वीकृति और अनुमति के निर्माण कार्य शुरू किया गया। इस रेंज में तत्कालीन वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट टाइगर सफारी का 106 हेक्टेयर में निर्माण किया जा रहा था। मामले में वकील और वन्य जीव संरक्षण करता गौरव बंसल ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इसके साथ ही उन्होंने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी में भी इसकी शिकायत की थी।
इसके बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और एनजीटी की टीम में स्थलीय निरीक्षण किया था। जिसमें 215 करोड़ के घोटाले होने की बात सामने आई थी।
पिछले साल विजिलेंस सेक्टर हल्द्वानी ने इस मामले में मुकदमा दर्ज किया इसके बाद तत्कालीन रेंजर बृज बिहारी शर्मा को गिरफ्तार किया गया। 24 दिसंबर 2022 को डीएफओ किशन चंद को भी मामले में गिरफ्तार किया गया। हालांकि रेंजर ब्रिज बिहारी शर्मा की जमानत हो चुकी है।
इस मामले में निर्धारित अनुमति से ज्यादा रिजर्व फॉरेस्ट के हरे पेड़ कटवाने सरकारी धन का दुरुपयोग करने और भ्रष्टाचार में संकट होने के अधिकारियों पर आरोप थे।
रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब 6093 पेड़ अतिरिक्त काटे गए। टाइगर सफारी के नाम पर खर्च हुआ पैसा दूसरे काम के लिए था। इसे कमीशन और अन्य लालच में ठेकेदारों को आवंटित कर दिया गया । गड़बड़ी करने वाले अधिकारी इस बात को लेकर भी आश्वस्त थे कि उन्हें जो पैसा बाद में मिलेगा उसे इस मद में जमा कर दिया जाएगा। जिन जगह सड़क भवन और अन्य निर्माण हुए वह कर सेंसेटिव जोन में आता है यहां किसी प्रकार का निर्माण नहीं हो सकता है। 163 पेड़ काटने के आदेश के खिलाफ 6200 पेड़ काट दिए गए। इस मामले में IFS अधिकारी राजीव भरतरी, जे एस सुहाग, राहुल पर भी गाज गिरी।
सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल एंपावर्ड कमेटी ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया। पाखरु सफारी प्रोजेक्ट के लिए राष्ट्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से भी अनुमोदित नहीं कराया गया।
सुप्रीम कोर्ट के CEC कमेटी लंबे समय से इस मामले की जांच कर रही है 24 जनवरी 2023 को कमेटी के सदस्य सचिव अमरनाथ शेट्टी की ओर से सुप्रीम कोर्ट को सौंप गई रिपोर्ट में कहा गया है की टाइगर सफारी केवल अधिसूचित टाइगर रिजर्व के बाहर और बाघों के प्राकृतिक आवास के बाहर स्थापित की जा सकती है लेकिन इस मामले में इन बातों का ध्यान नहीं रखा गया पूर्व वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत पर आरोप है कि उन्होंने इस मामले में तत्कालीन डीएफओ किशन चंद के गलत कामों को बढ़ावा दिया इसलिए उनसे पूछताछ के साथ ही कार्रवाई की सिफारिश भी इस मामले में की गई।
इस मामले में उत्तराखंड विजिलेंस की टीम अब हरक सिंह रावत से भी जांच करने पहुंची हैं। हालाकि मामले में हरक सिंह रावत ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है ।इस मामले में कांग्रेस का कहना है कि कोई भी नेता जब तक भाजपा में होता है तो दूध का धुला होता है। किसी भी तरह के आरोप हों लेकिन कोई जांच नहीं होती लेकिन कांग्रेस में आता है तो फिर जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करके इस तरीके से मामलों की जांच के नाम पर एक पक्ष की कारवाई शुरू हो जाती है
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