उत्तरकाशी की महिला जनप्रतिनिधि रडार पर, कई प्रधानों, पंचायत सदस्यों को पास कराया, एसटीएफ जल्द कर सकती कुछ और गिरफ्तारियां

देहरादून

पेपर लीक मामले में उत्तरकाशी जिला बार-बार चर्चाओं में आ रहा है। अब गिरोह से महिला जनप्रतिनिधि का नाम जुड़ रहा। एसटीएफ जल्द ही इस मामले में कार्रवाई भी कर सकती है। इससे पहले एक अन्य जनप्रतिनिधि का नाम सामने आया था, लेकिन अभी उसका बैंकाक से लौटने का इंतजार किया जा रहा है। अब तक एसटीएफ ने साक्ष्यों के आधार पर 13 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनके अलावा बहुत से नाम ऐसे हैं, जिनके खिलाफ मौखिक साक्ष्य तो मौजूद हैं, मगर कोई ठोस सुबूत न होने से उन तक पहुंचा नहीं जा रहा है।
उत्तरकाशी जिले का मोरी क्षेत्र इसका केंद्र बन रहा है। यहां के 80 से अधिक अभ्यर्थियों ने इस परीक्षा में सफलता पाई थी। बताया जा रहा कि इनमें से ज्यादातर को हल किया हुआ पेपर मुहैया कराया गया था। इनमें से कई लोग ग्राम प्रधान और पंचायत सदस्य भी हैं। इन्होंने गांव की राजनीति छोड़कर नकल के सहारे नौकरी की राह पकड़ने की कोशिश की है।

इसके लिए मदद भी उनकी वहां के कुछ जनप्रतिनिधियों ने ही की है। इसमें अब महिला जनप्रतिनिधि का नाम भी सामने आ रहा है। एसटीएफ के अनुसार, सभी लोगों से पूछताछ की जाएगी। जिन लोगों के नाम सामने आ रहे हैं उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा, लेकिन जो नहीं आएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एसटीएफ के एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि अभी तक इस मामले में बहुत खुलासे हो चुके हैं। कंपनी की प्रिंटिंग प्रेस में प्रिंटिंग और पैकेजिंग के समय का सीसीटीवी फुटेज नहीं मिला है। इसमें मिलीभगत होने की बात भी सामने आ रही है। जल्द ही कुछ और भी गिरफ्तारियां भी की जा सकती हैं।

पेपर लीक मामले में अब तक की जांच में लापरवाही ही नहीं, बल्कि अधिकारियों की साजिश का भी पता चल रहा है। लखनऊ में कंपनी की प्रिंटिंग प्रेस से पेपर की प्रिंटिंग और पैकेजिंग के समय का सीसीटीवी फुटेज भी गायब हो गया है। माना जा रहा कि आउटसोर्स कंपनी के अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ आयोग के किसी कारिंदे की मिलीभगत भी थी।

अब इसी दिशा में एसटीएफ ने जांच आगे बढ़ा दी है। एसटीएफ इसमें जल्द कुछ और गिरफ्तारियां कर सकती है। एसटीएफ ने आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन कंपनी के कर्मचारी अभिषेक वर्मा को तीन दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिया था। उसे प्रिंटिंग प्रेस में ले जाकर पूछताछ की गई। वहां पर सभी सेक्शनों में सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चेक की गई, लेकिन एसटीएफ को प्रिंटिंग के दौरान और उसके बाद पेपर की पैकेजिंग के वक्त की सीसीटीवी फुटेज नहीं मिले हैं। इस संबंध में वहां के अधिकारियों से भी पूछताछ की गई, लेकिन उन्होंने इस संबंध में कोई वाजिब जवाब नहीं दिया।

अधिकारियों के मुताबिक, केवल एक अवधि की सीसीटीवी फुटेज न मिलना एक सोची समझी साजिश की ओर इशारा करता है। परीक्षा पारदर्शिता से कराने की जिम्मेदारी परीक्षा नियंत्रक और उनकी टीम की थी। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी था कि वहां पर सीसीटीवी कैमरे हों जहां पर गोपनीय काम किया जा रहा, मगर इस बात का ध्यान नहीं दिया गया या फिर कोई अधिकारी भी इस साजिश में मिला हुआ है इस बात की जांच की जा रही है।

एसटीएफ ने सोमवार को तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक से कई घंटे पूछताछ की थी। शुरुआत में लग रहा था कि केवल आरएमएस कंपनी के कुछ कर्मियों ने अपने निजी लाभ के लिए पेपर लीक कराया, लेकिन अब ताजा साक्ष्यों के आधार पर आयोग के भीतर के लोगों की मिलीभगत के संदेह को बल मिलता दिख रहा। ऐसे में एसटीएफ अब परीक्षा नियंत्रक के साथ-साथ उनकी टीम के कुछ और कर्मचारियों व अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुलाएगी।

अभिषेक वर्मा की रिमांड खत्म होने के बाद उसे जेल में दाखिल करा दिया गया है। एसटीएफ के अनुसार, उसके पास से एक लैपटॉप व बैंक पासबुक मिली है। इसके अलावा उसने पिछले दिनों जो संपत्तियां खरीदी थीं, उनके दस्तावेज भी कब्जे में लिए गए हैं। वर्मा ने कई और लोगों के बारे में भी एसटीएफ को बताया है। इनकी कड़ी जोड़ते हुए इनमें से कुछ लोगों को गिरफ्तार किया जा सकता है।

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