बहाली की मांग को लेकर बच्चों समेत धरने पर बैठी निलंबित सिपाही की पत्नी

देहरादून

ग्रेड पे मामले में निलंबित उत्तरकाशी के सिपाही की पत्नी पति की बहाली की मांग को लेकर बच्चों समेत धरने पर बैठ गईं। गांधी पार्क के सामने करीब तीन घंटे धरने पर बैठने के बाद वह डीजीपी से भी मिलीं। बकौल महिला डीजीपी ने उन्हें आश्वासन दिया है
हालांकि, अभी इस मामले में सरकार या विभाग की ओर से कोई स्थिति साफ नहीं की गई है। तीन दिन पहले कुछ सिपाहियों के परिजनों ने एक रेस्टोरेंट में पत्रकार वार्ता की थी। उन्होंने सिपाहियों को 4,600 ग्रेड पे की मांग को लेकर आवाज उठाई थी। चेतावनी दी थी कि यदि ग्रेड पे पर फैसला नहीं लिया गया तो एक सप्ताह बाद आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा। इसके बाद पुलिस विभाग ने चार सिपाहियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया था। हालांकि, इनमें से देहरादून में तैनात एक सिपाही ने अपने परिजनों के पत्रकार वार्ता में शामिल होने से इनकार किया था।
निलंबित सिपाहियों में से एक उत्तरकाशी में एसडीआरएफ में तैनात है। मंगलवार को सिपाही की पत्नी अपने बच्चों के साथ गांधी पार्क पहुंच गई थी। उन्होंने पति को बहाल करने की मांग की। कुछ देर बाद उन्हें मनाने के लिए एसपी सिटी सरिता डोबाल व अन्य पुलिस अधिकारी भी पहुंचे। करीब तीन घंटे तक महिला को समझाया गया। इसके बाद पुलिस मुख्यालय से अनुमति मिलने के बाद महिला डीजीपी अशोक कुमार से मिलने पहुंची थी। वहां पर डीजीपी से भी महिला ने आधे घंटा बात की। महिला ने बताया कि डीजीपी ने उन्हें सकारात्मक आश्वासन दिया है।
बहाली पर फैसला बाद में
आचरण नियमावली के तहत कार्रवाई की गई है। सूत्रों की माने तो अभी किसी भी सिपाही की बहाली पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। भविष्य में स्थिति साफ होने के बाद ही बहाली पर फैसला लिया जा सकता है। चार सिपाहियों में दो देहरादून में, एक चमोली और एक उत्तरकाशी में तैनात है।
फैसले में देरी से फोर्स का गिर रहा मनोबल
ग्रेड पे के मामले को लगभग आठ सालों से लटकाया जा रहा है। सीधे तौर पर देखा जाए तो डेढ़ साल तो आंदोलन को हो गया। आश्वासन, घोषणाएं और शासनादेश भी हुए, लेकिन इसमें सिपाहियों की इस मांग का कुछ नहीं हुआ। रात दिन आमजनमानस की सुरक्षा को सड़कों पर तैनात रहने वाले सिपाहियों का मनोबल ऊंचा रखना सरकार की जिम्मेदारी होती है, लेकिन सरकार ही इस मामले में ढुलमुल रवैया अपना रही है। सीएम की घोषणा से पुलिस परिवार बेहद आहत हैं। उन्होंने उस वक्त सीएम के बारे में कहा था कि उन्होंने सैनिक पुत्र होते हुए प्रदेश के इन सिपाहियों को दुख पहुंचाया है। दो लाख रुपये एकमुश्त देने संबंधी शासनादेश भी हुआ, लेकिन वह भी अभी तक नहीं मिला। माना जा रहा कि इससे कहीं न कहीं फोर्स का मनोबल भी गिर रहा है।

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