हरिद्वार की बेटी काव्या के जोश और जज्बे को सलाम, जीवन की सभी परेशानियों को दरकिनार कर हासिल की सफलता

उत्तराखंड

हल्द्वानी स्थित गोलापार अंतराष्ट्रीय स्पोर्ट्स स्टेडियम में आयोजित राज्य स्तरीय तैराक स्पर्धा में हिस्सा लेने हरिद्वार से हल्द्वानी पहुँची 17 वर्षीय काव्या को पहले से ही बुखार था मां विजय लक्ष्मी पिता रूपेश बरगोटी ने स्पर्धा में शामिल नहीं होने की सलाह दी, लेकिन बुखार की दवा खाकर सिर पर बाम लगाकर काव्या सुबह स्वीमिंग पुल में कूद गई, जिसके बाद उसने 50 मीटर ब्रेस्ट स्ट्रोक व फ्री स्टाइल रिले में स्वर्ण पदक हासिल किया, हालांकि तैराकी के बाद भी काव्या का बुखार कम नहीं हुआ, लेकिन मां विजय लक्ष्मी उसे बाम लगाकर उसका बुखार ठीक करती रही, मां विजय लक्ष्मी बताती है कि दो साल की उम्र में ही यह तैराकी में उतर गयी थी बचपन में स्वीमिंग पुल में डूबती डूबती बची थी जिसके बाद उसने तैराकी की ठान ली थी

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