पतंजलि विश्वविद्यालय गुरू-शिष्य परंपरा पर आधारित हैः स्वामी रामदेव

हरिद्वार: पतंजलि विश्वविद्यालय में पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के सातवें दिन विवि के कुलगुरू योगऋषि स्वामी रामदेव एवं प्रति-कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।आचार्यों को सम्बोधित करते हुए कुलाधिपति स्वामी रामदेव ने कहा कि आचार्यों को ऋषि परम्परा का सच्चा प्रतिनिधि होना चाहिए। अपने उत्तरदायित्त्व का श्रेष्ठतम् निष्पादन करने की प्रेरणा प्रदान करते हुए उन्होंने उपस्थित प्रतिभागियों को गुरू-शिष्य परम्परा में प्रतिष्ठित होकर अपने कार्यों को करने का मार्गदर्शन दिया। उन्होंने सभी को विवेकपूर्वक, भक्तिपूर्वक एवं पूर्ण पुरुषार्थ के साथ अपनी-अपनी जिम्मेदारी निर्भर रहकर करने की बात पर बल दिया। स्वामी रामदेव ने सभी अध्यापकों से आग्रह किया कि जब भी आप अपना विषय पढ़ाये तो उसे पूरी लगन के साथ उस विषय में खुद को डुबाकर उसे बच्चों के सामने रखना चाहिये। यही गुरू धर्म भी है। पतंजलि विश्वविद्यालय गुरू-शिष्य परंपरा पर आधारित विश्वविद्यालय है।द्वितीय सत्र को संबोधित करते हुए कार्यक्रम के संयोजक एवं पतंजलि वि.वि. के प्रति-कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल ने वेदों में वर्णित विभिन्न विषयों पर प्रकाश डाला। स्वामी दयानन्द सरस्वती का संदर्भ देते हुए उन्होंने धर्म के रहस्य को जानने-समझने के लिए वेदों की राह पर चलने हेतु प्रेरित किया। संसार रूपी पुस्तकालय के प्रथम ग्रन्थ वेद पढ़ने एवं उसकी घर-घर में प्रतिष्ठापना हेतु प्रतिभागियों को संकल्पित कराते हुए उन्होंने वेदों के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने हेतु समर्थ प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया।पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में कुलानुशासिका प्रो. साध्वी (डॉ.) देवप्रिया, कुलसचिव डॉ. पुनिया, संकायाध्यक्ष प्रो. कटियार, सह कुलानुशासक स्वामी परमार्थदेव, उप-कुलसचिव डॉ. निर्विकार सहित वि.वि. के विभिन्न संकायों के आचार्य एवं शोध छात्र उपस्थित रहे। सत्र का संचालन डॉ. आरती पाल ने किया।

About Author

You may have missed