देहरादून: सल्ट विधानसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर भाजपा फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रही है। प्रत्याशी चयन को लेकर खासी मशक्कत करने के साथ ही उपचुनाव में सहानुभूति के फैक्टर को भी ध्यान में रखा जा रहा है। प्रदेश भाजपा के कोर ग्रुप की बैठक में उपचुनाव के लिए छह दावेदारों के नाम के पैनल पर मुहर लगाई गई। इनमें विधायक जीना के भाई महेश जीना, दिनेश मेहरा, यशपाल रावत, गिरीश कोटनाला, प्रताप सिंह और राधारमण शामिल हैं। यह पैनल केंद्रीय नेतृत्व को भेजा गया है। बता दें कि, भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के निधन के कारण विधानसभा की सल्ट सीट रिक्त हो गई थी। 17 अप्रैल को इस सीट पर उपचुनाव होना है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने बताया कि प्रत्याशी चयन के संबंध में पार्टी का केंद्रीय पार्लियामेंट्री बोर्ड फैसला लेगा। कौशिक ने कहा कि भाजपा के दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना ने सल्ट क्षेत्र में बहुत बेहतर कार्य किया। वहां के निवासियों के मन में भाजपा के प्रति विश्वास है। यह विश्वास पार्टी के पक्ष में जाए, इस पर भी बैठक में विचार किया गया।
बैठक में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, सांसद अजय भट्ट, अजय टम्टा व माला राज्यलक्ष्मी शाह, राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल, पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, भाजपा की प्रदेश सह प्रभारी रेखा वर्मा, कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत, राज्यमंत्री डा.धन सिंह रावत, प्रदेश महामंत्री सुरेश भट्ट आदि मौजूद थे।
वहीं मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत सल्ट से चुनाव नहीं लड़ेंगे। मुख्यमंत्री अभी विधानसभा के सदस्य नहीं हैं। संवैधानिक प्रक्रिया के तहत छह माह के भीतर उन्हें विधानसभा का सदस्य बनना है। माना जा रहा कि वह गढ़वाल संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली विधानसभा की किसी सीट से चुनाव लड़ने को वह तवज्जो दे सकते हैं। ऐसे में अब नजरें इस पर टिकी हैं कि उनके लिए सीट कौन खाली करता है।
वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने साफ़ किया सल्ट उपचुनाव में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का नाम नहीं है। उन्होंने कहा कि, इस संबंध में आगे विचार किया जायेगा। लेकिन इतना साफ़ है कि, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत सल्ट से चुनाव नहीं लड़ेंगे। माना जा रहा कि वह गढ़वाल संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली विधानसभा की किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। इससे पहले मंत्री हरक सिंह रावत कोटद्वार विधानसभा सीट मुख्यमंत्री के लिए छोड़ने की बात कह चुके हैं। गौरतलब है कि, मुख्यमंत्री अभी विधानसभा के सदस्य नहीं हैं। संवैधानिक प्रक्रिया के तहत छह माह के भीतर उन्हें विधानसभा का सदस्य बनना है।
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