ग्रेड पे मामला: उत्तराखंड में पुलिसकर्मियों के परिजनों ने फिर दी आंदोलन की चेतावनी,परिजनों की पत्रकार वार्ता की तीन सिपाहियों पर गिरी गाज, तीनों सस्पेंड

देहरादून

मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी 2001 बैच के सिपाहियों को 4,600 ग्रेड पे नहीं मिला है। इसको लेकर कई चरणों में पुलिसकर्मियों के परिजनों ने अफसरों और सरकार के नुमाइंदों से वार्ता की थी, लेकिन इन वार्ताओं का कोई हल नहीं निकला।
ग्रेड पे मामले में पुलिसकर्मियों के परिजनों के पत्रकार वार्ता करने पर तीन सिपाहियों को निलंबित कर दिया गया है। इनमें एक सिपाही चमोली, दूसरा उत्तरकाशी और तीसरा देहरादून में तैनात है। कार्रवाई के विरोध में भी सोमवार को परिजन पुलिस मुख्यालय के बाहर आंदोलन करने के लिए पहुंचे, लेकिन बाद में डीजीपी अशोक कुमार के समझाने के बाद लौट गए।
दरअसल, मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी 2001 बैच के सिपाहियों को 4,600 ग्रेड पे नहीं मिला है। इसको लेकर कई चरणों में पुलिसकर्मियों के परिजनों ने अफसरों और सरकार के नुमाइंदों से वार्ता की थी, लेकिन इन वार्ताओं का कोई हल नहीं निकला। इसके बाद रविवार को कुछ पुलिसकर्मियों के परिजन प्रेस क्लब के पास एक रेस्टोरेंट में इकट्ठा हुए और उन्होंने पत्रकार वार्ता की। उन्होंने सरकार पर वादा खिलाफी का इल्जाम लगाया और आंदोलन की चेतावनी दी थी। इसके बाद से पुलिस विभाग में खलबली मच गई।

इस पर खुफिया तंत्र भी अलर्ट हो गया और उन सिपाहियों के बारे में पता किया गया। सोमवार को डीजीपी अशोक कुमार के निर्देश पर चमोली पुलिस लाइन में तैनात सिपाही दिनेश चंद, एससीआरबी देहरादून में तैनात सिपाही हरेंद्र सिंह और एसडीआरएफ उत्तरकाशी में तैनात कुलदीप भंडारी को निलंबित कर दिया गया है। इसके बाद सभी को चेतावनी भी जारी की गई है। इस साल कुछ इस्तीफे वायरल करने पर भी सिपाहियों पर कार्रवाइयां हुई थीं।

सिपाहियों पर कार्रवाई से खफा महिलाएं पुलिस मुख्यालय के बाहर आंदोलन करने के इरादे से पहुंची थीं। कुछ देर तक बाहर खड़ी रहीं। उस वक्त डीजीपी बैठक में व्यस्त थे। इसके बाद उन्हें भीतर बुलाया गया। प्रतिनिधिमंडल के रूप में गई महिलाओं से डीजीपी ने करीब आधे घंटे तक वार्ता की। इसमें उन्हें पुलिस के नियमों को बताया गया। इसके बाद महिलाएं वहां से लौट आईं।

सिपाहियों पर कार्रवाई आचरण नियमावली के तहत की गई है। नियमावली की धारा 5 (2) और 24 (क) में ऐसे प्रावधान हैं। इन धाराओं में व्याख्या है कि कोई पुलिसकर्मी किसी संगठन का हिस्सा नहीं बन सकता है। धारा 24 में बताया गया कि कोई भी सरकारी कर्मचारी सिवाय उचित माध्यम से और ऐसे निर्देशों के अनुसार जिन्हें राज्य सरकार समय-समय पर जारी करे, निजी रूप से या अपने परिवार के किसी सदस्य के माध्यम से सरकार या किसी अन्य प्राधिकारी को कोई आवेदन नहीं करेगा।

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