देहरादून
मुख्यमंत्री ने भेंट के दौरान केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री को अवगत कराया कि वर्तमान में जौलीग्रांट एयर पोर्ट के विस्तारीकरण का कार्य गतिमान है। जिसके लिये वन विभाग की 87.0815 है0 भूमि का हस्तांतरण किया जाना है। उन्होंने कहा कि जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण हेतु जौलीग्रांट के आस-पास के क्षेत्रों की कुल 96.2182 है० भूमि में से 87.0815 है0 भूमि वन विभाग की भी अधिग्रहण की जानी है।
उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में मा० उच्च न्यायालय द्वारा राज्य सरकार/वन विभाग के पक्ष में निर्णय पारित किया जा चुका है। मा० न्यायालय के उक्त निर्णय के उपरान्त जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारण हेतु वन विभाग की उक्त 87.0815 है० भूमि नागरिक विभाग को हस्तांतरित करने में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं है।
मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री को यह भी अवगत कराया कि वर्तमान में जौलीग्रांट एयरपोर्ट से काठमाण्डू (नेपाल) के लिए वायुयान सेवा संचालित किये जाने के लिए निविदा की कार्यवाही पूर्ण की जा चुकी है। जिसके दृष्टिगत जौलीग्रांट एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा का दर्जा देने की कार्यवाही को गति देने की नितांत आवश्यकता है। भूमि अधिग्रहण एवं कब्जे की प्रक्रिया सम्पन्न होने के उपरान्त भारतीय विमानपत्न प्राधिकरण ( AAI ) द्वारा जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण कर कार्य आरम्भ कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री से भेंट के दौरान यह भी अनुरोध किया कि उत्तराखण्ड के विशिष्ठ भौगोलिक, सामरिक महत्व तथा पर्वतीय क्षेत्र में आम जनमानस को मूल भूत सुविधा प्रदान किये जाने के उद्देश्य से भारत सरकार के उपक्रमों द्वारा कराये जा रहे गैर वानिकी परियोजना हेतु पूर्व की भांति राज्य में उपलब्ध ‘अधिसूचित अवनत वन भूमि’ में क्षतिपूरक वृक्षारोपण कराये जाने तथा इन सभी प्रयोजन के लिये गतिमान वन भूमि हस्तान्तरण प्रस्तावों पर अनुमोदन प्रदान किया जाए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री को यह भी अवगत कराया कि जनपद रुद्रप्रयाग के विधानसभा क्षेत्र केदारनाथ के अंतर्गत चोपता (तल्लानागपुर) में वर्ष 2014 से राजकीय पॉलिटेक्निक चोपता का संचालन किराए के भवन में किया जा रहा है। उन्होंने इसके दृष्टिगत राजकीय पॉलिटेक्निक चोपता की स्थापना हेतु पूर्व में राजस्व ग्राम कुंडा दानकोट में चयनित 2 हेक्टेयर वन भूमि को हस्तांतरण करने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजकीय पालीटेक्निक, चोपता की स्थापना हेतु उक्त क्षेत्र के अन्तर्गत कहीं भी गैर वन भूमि उपलब्ध नहीं हो पा रही है। राजकीय पालीटेक्निक, चोपता की स्थापना हेतु चयनित वन भूमि लगभग 08 वर्षों से संस्था को हस्तांतरित न होने के कारण संस्था का संचालन किराये के भवन में किया जा रहा है, जिससे संस्थान में अध्ययनरत छात्र/छात्राओं को गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान नहीं हो पा रही है एवं वहां के नवयुवक/युवतियों को रोजगारपरक शिक्षा प्रदान करने का उद्देश्य सफल नहीं हो पा रहा है। वन भूमि हस्तांतरण से पॉलिटेक्निक अपने भवन में संचालित हो सकेगा तथा छात्रों को सुविधा होगी।
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