देहरादून
आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण प्रदान करने में यूथ रेडक्रास की भूमिका विशेष सराहनीय है। आपदा चूंकि उत्तराखंड का सर्वाधिक संवेदनशील विषय है अतः आपदा के दौरान जीवन एवं सम्पत्ति की सुरक्षा के उपायों का सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण बेहद जरूरी है।
उक्त विचार डीआईटी यूनिवर्सिटी की डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ० मनीषा डुसेजा ने यूथ रेडक्रास कमेटी द्वारा यूनिवर्सिटी के वेदांता ऑडिटोरियम में विश्वविद्यालय के “दीक्षारम्भ -2024” कार्यक्रम के अन्तर्गत आयोजित एक दिवसीय विशेष आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण एवं जागरूकता शिविर के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि प्रशिक्षणार्थी छात्र- छात्राओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आपदाओं में जन-धन की सुरक्षा में कारगर इस अति महत्वपूर्ण प्रशिक्षण को स्वेच्छापूर्वक ग्रहण करना चाहिए, ताकि सरकार या बाहरी सहायता मिलने से पूर्व दुर्घटनास्थल पर आपातकालीन सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।
इस अवसर पर डीन डॉ० मनीषा डुसेजा तथा चीफ प्रोक्टर डॉ० नवीन सिंघल ने आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण को उच्च स्तरीय एवं विशेष लाभप्रद बताते हुए मुख्य प्रशिक्षक व सदस्य नेशनल डिजास्टर वाटसन रिस्पांस टीम अनिल वर्मा को डीआईटी यूनिवर्सिटी की तरफ़ से “शाॅल ओढ़ाकर तथा बुके व “शील्ड” भेंटकर सम्मानित किया।
कार्यक्रम अध्यक्ष व यूनिवर्सिटी के चीफ़ प्रोक्टर प्रोफेसर (डॉ०) नवीन सिंघल ने मुख्य प्रशिक्षक अनिल वर्मा का परिचय देते हुए बताया कि आपदा प्रबंधन के मास्टर ट्रेनर अनिल वर्मा नेशनल सिविल डिफेंस कॉलेज, नागपुर महाराष्ट्र, सिविल डिफेंस प्रशिक्षण संस्थान , बक्शी का तालाब एयरफोर्स स्टेशन, लखनऊ (उ०प्र०) तथा नेशनल हैडक्वार्टर इंडियन रेडक्रास सोसायटी,न ई दिल्ली से विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त हैं। अनिल वर्मा विगत 40 वर्षों से एनसीसी, एन० एस०एस०, स्काउट – गाईड, सिविल डिफेंस वार्डन , रेडक्रास वालंटियर, विभिन्न् विद्यालयों- महाविद्यालयों तथा यूनिवर्सिटी के हजारों युवा छात्र- छात्राओं सहित सरकारी /गैर सरकारी संस्थाओं के अधिकारियों व कर्मचारियों को युद्ध अथवा आपदाओं के दौरान फायर फाईटिंग, फर्स्ट एड व आपदाओं में इमरजेंसी मेथड्स ऑफ रेस्क्यू के फ्री हैंड रेस्क्यू तथा रोप रेस्क्यू आदि का विशेष प्रशिक्षण देकर समाज और राष्ट्र की रक्षा कर सकने में सक्षम बनाने में सतत् संलग्न हैं।
इसके साथ ही उन्होने उत्तराखंड की दो बड़ी आपदाओं सन् 2012 में उत्तरकाशी में बादल फटने से हुई भीषण त्वरित बाढ़ आपदा तथा सन् 2013 में केदारनाथ वजल प्रलय के दौरान इंडियन रेडक्रास सोसायटी , नई दिल्ली के आदेश पर वहां जाकर अपनी विशिष्ट सेवाएं प्रदान कीं जिनसे प्रभावित होकर क्रमशः तत्कालीन राज्यपाल डॉ० अजीज कुरैशी तथा राज्यपाल डॉ० कृष्ण कांत पाॅल दोनों ने अनिल वर्मा के उत्कृष्ट एवं सराहनीय योगदान के लिए श्री वर्मा को “बैज ऑफ़ ऑनर” , “प्रशस्ति पत्र ” एवं “शील्ड” प्रदान करके विभूषित किया था, जो हम सभी के लिए गर्व की बात है। हम अपेक्षा करते हैं कि डी आई टी यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों को समय समय-समय पर आपदा प्रबंधन का रिफ्रेशर कोर्स आपके द्वारा करवाया जाता रहेगा।
इससे पूर्व मुख्य प्रशिक्षक यूथ रेडक्रास कमेटी के अनिल वर्मा ने कहा कि उत्तराखंड भूकंप , भू- स्खलन, भू – धंसाव, बादल फटना, त्वरित बाढ़ तथा जंगल की आग आदि आपदाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है । देहरादून तीन फाल्टों (1)मोहंड डाट की देवी (2) चमोली -उत्तरकाशी बेल्ट तथा (3) शहंशाही आश्रम फाल्ट से घिरा हुआ है। यहां किसी भी क्षण 08 रिक्टर स्केल अथवा इससे अधिक तीव्रता का भूकंप आ सकता है। यानी देहरादून भूकंप के टाईम बम के मुहाने पर बैठा है। अतः आपदाओं से होने वाली जान- माल की हानि को न्यूनतम करने के लिए यहां युवाओं को पहले से ही आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण प्राप्त करना बेहद जरूरी है।
अनिल वर्मा ने छात्रा कैडेटों को आपदा की परिभाषा, प्रकार व संभावित हानि का प्रतिशत बताने के साथ ही “‘सर्च एंड रेस्क्यू”‘ के तहत् भूकंप, भू स्खलन, त्वरित बाढ़ के दौरान भवनों या चट्टानों के मलबे में फंसे घायल अथवा अग्नि कांड में फंसे लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के अंतराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त “इमरजेंसी मेथड्स ऑफ रेस्क्यू” की ह्यूमन क्रेडल, ह्यूमन क्रच, फायरमैन्स लिफ्ट, फोर एंड आफ्ट मेथड, पिक अबैक, रिवर्स पिक अबैक, टू-थ्री-फोर हैंडेड सीट , टो – ड्रैग के साथ ही रोप रेस्क्यू के अंतर्गत रस्सियों में गांठें लगाकर बो लाईन- ड्रैग , फायरमैन्स चेयर नॉट, ड्रा -हिच आदि का विधिवत् सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया।
यूथ रेडक्रास सदस्या मेजर प्रेमलता वर्मा, डी आई टी यूनिवर्सिटी के एनसीसी अधिकारी लेफ्टिनेंट जबरिंदर सिंह तथा लेफ्टिनेंट ब्रजलता, डॉ० सौरभ मिश्रा तथा कु० मंजुला खुल्बे के नेतृत्व में छात्राओं कु० आयुषि कठैत,अनुषा नौटियाल वैभवी पाण्डेय, अक्षिता नगदाली तथा छात्रों आयुष बिष्ट , उद्धव पुण्डीर, अखिलेश नौटियाल समर्थ सवारणा, देब तथा उबैद ने आपदा के दौरान घरों , स्कूल- कालेजों , व हाई राईज बिल्डिंगों के मलबे में फंसे घायलों के बचाव के आपात्कालीन तरीकों का कुशल जीवंत प्रदर्शन किया।
श्री वर्मा ने “फर्स्ट एड प्रशिक्षण” के अंतर्गत
हार्ट अटैक से मृतप्राय व्यक्ति को पुनर्जीवित करने की “कार्डियो पल्मोनरी रीससिटेशन (सी पी आर)” की प्रक्रिया का प्रशिक्षण प्रदान किया।
युवा छात्र – छात्राओं को रक्तदान हेतु प्रेरित करते हुए रक्तदाता शिरोमणि अनिल वर्मा ने बताया कि उन्होंने स्वयं 18 वर्ष 2 महीने की उम्र में पहली बार रक्तदान किया था तब से वे अब तक कुल 155 बार रक्तदान कर चुके हैं। उन्होंने इसका महत्व बताते हुए कहा कि रक्त एक औषधि है जो एक आदमी ही दूसरे आदमी को जीवनदान के रूप में दे सकता है।
श्री वर्मा ने रक्तदान के बारे शरीर में कमजोरी आने सहित सभी अंधविश्वासों को बेबुनियाद बताया तथा रक्तदान करने से उल्टे रक्तदाता को ही होने वाले अनेक लाभ गिनाए।
रक्तदाता प्रेरक अनिल वर्मा ने थैलीसीमिया रक्त रोग की गंभीरता पर कहा कि चूंकि यह रोग माता – पिता से बच्चों में आता है अतः लड़का- लड़की दोनों शादी से पूर्व जन्म कुंडली के बजाय रक्त कुंडली अवश्य मिलाएं ताकि बच्चे को थैलीसीमिया से ग्रसित होकर आजीवन रक्त पर निर्भर न रहना पड़े।
नशामुक्ति जागरूकता के तहत् पूरे देश में बढ़ती जा रही नशाखोरी विशेषकर युवा लड़के लड़कियों में आजकल स्टेट्स सिंबल , मेंटल टेंशन , रिलैक्स मूड या एंटरटेनमेंट व इंजोयमेंट के बहाने तम्बाकू, सिगरेट , सिगार या एल्कोहल का सेवन करने से शुरू होती है। परन्तु ऐसे युवा धीरे-धीरे शारीरिक , सामाजिक व आर्थिक बर्बादी का शिकार हो जाते हैं। नशामुक्ति केंद्रों की बढ़ती संख्या गंभीर राष्ट्रीय चिंता का विषय है। माता – पिता के पास अपने बच्चों के साथ उठने – बैठने बातचीत करने तथा उनपर आवश्यक निगरानी रखने के लिए समय न देना भी इस दुष्परिणाम के रूप में सामने आता है।श्री वर्मा ने नशा छुड़वाने में परिवार की भूमिका पर विस्तृत जानकारी दी । डेंगू फीवर के प्रति छात्र छात्राओं को जागरूक करते हुए डेंगू कंट्रोल रूम आईटी पार्क के पूर्व नोडल अधिकारी अनिल वर्मा ने डेंगू के कारण,लक्षण, सावधानी व उपचार की विस्तृत जानकारी दी। साथ ही डेंगू फीवर को नजर अंदाज न करने की सलाह दी व एस्पिरिन या खून पतला करने वाली दवाइयां न लेने का परामर्श दिया। साथ ही नारियल पानी , नींबू पानी अथवा उबालकर ठंडा किये हुए पानी का सेवन का सेवन करना चाहिए।अनावश्यक रूप से प्लेटलेट्स चढ़वाने से बचना चाहिए। यदि किसी को डेंगू से पीड़ित होने की संभावना हो तो एसिटामिनोफेन टेबलेट के साथ ही डाइक्लोफेनेक टेबलेट डाक्टर की सलाह पर ले सकते हैं। डेंगू की कोई विशेष दवा नहीं है परन्तु बुखार एवं दर्द को कम करने के लिए पैरासिटामॉल टेबलेट ली जा सकती है। डेंगू की संभावना होने पर कोई भी व्यक्ति डेंगू कंट्रोल रूम के टोल फ्री नंबर 18001802525 पर सम्पर्क कर सकता है।
कार्यक्रम का संचालन तथा लाईव डिमांस्ट्रेशन की एंकरिंग एन सी सी कैडेटों अंडर ऑफीसर अमन राज, सार्जेंट चैतन्य जलवाल व कैडेट उद्धव पुण्डीर ने किया।इस अवसर पर सुविख्यात मनोचिकित्सक डॉ० मुकुल शर्मा विशेष रूप से उपस्थित थे।
धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम अध्यक्ष व चीफ़ प्रोक्टर प्रोफेसर नवीन सिंघल द्वारा किया गया।
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