मसूरी
मसूरी कैमल बैक रोड रॉक्सी होटल के पास ऐतिहासिक सीडस रिंक द हेरिटेज होटल भीषण आग लगने के बाद जलकर खाक हो गया। जिसके बाद मसूरी वासियों में मायूसी छा गई है वह मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि निश्चित ही यह बहुत दुखद घटना है मसूरी का ऐतिहासिक स्केटिंग रिंक हाल जलकर खाक हो गया। उन्होंने कहा आज एक इतिहास मिट गया है एक लैंडमार्क था मसूरी का जो कि अब मिट गया है उन्होंने कहा कि मसूरी द रिंक होटल और स्केटिंग हाल 131 साल पुरानी बिल्डिंग है जो अपने आप में एक इतिहास समेटे हुआ है इसकी स्थापना 1890 में हुई थी और इस साल इसने 131 साल पूरे कर लिये थे लेकिन हमारे देश के आजाद होने से पहले अंग्रेजों के दौर में यहां पर कई बडे प्रोग्राम होते थे थिएटर हुआ करते थे। और स्केटिंग रिंक के लिये पूरे दुनिया में मशहूर था। स्केटिंग रिंक हाल में रेसलिंग भी आयोजित होती थी जिसमें देश और विदेश के बडे बडे पहलवान प्रतिभाग करते थे। आजादी के बाद इसका स्वरूप बदल गया । 1951 से जब मसूरी नगर पालिका मसूरी का आटम फेस्टिवल इसी हाल में आयोजित किया जाता था जिसमें मसूरी के विभिन्न क्लब और स्कूलों के छात्रों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुआ करते थे। वही लगभग 100 वर्ष से इसमें स्केटिंग होती रहती थे। उसके बाद 1972 में पहले राष्ट्रीय चैंपियन अशोक पाल और उनकी बहन बिना सिंह ने 1972 में ऑल इंडिया ओपन रोलिंग स्केटिंग चैंपियनशिप शुरू की वह लगातार 15-20 साल लगातार होती रही उसके बाद यहां पर नेशनल चैंपियनशिप 1983 मैं हुई । इसमें भारत के सारे स्केटिंग क्लब, पंजाब पटियाला चंडीगढ़ बैंगलोर गुजरात आदि राज्यों से टीम आती थी । मसूरी में रोलर स्केटिंग का उसे समय का दौर हर कोई याद करता है । मसूरी में द रिंक में आयोजित होने वाली प्रतियोगिताओं में प्रभिाग कर खिलाडियों को विदेशो में भी अपना जोहर दिखाने का मौका मिला। उन्होने कहा कि उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी अनिल रतूरी थे हॉकी रोलर स्केट के बहुत अच्छे प्लेयर थे जो द रिंक में ही अभयास करते थे। उन्होंने भी विदेषो में भारत का प्रतिनिधित्व किया। मसूरी में स्पीड में हॉकी में कोई मुकाबल नहीे था मसूरी की बहुत स्केटिंग की बहुत सारी यादें थी जो इससे जुड़ी थी। उन्होने बताया कि उन्होंने स्वंय द रिंक के स्केटिंग रिंक हाल में ही स्केटिंग सीखी और रोड पर आए और 1972 में मसूरी से दिल्ली गए। 1975 में फिर यहां से स्केटस पर दिल्ली गए। उन्होंने कहा कि एशिया का दूसरा वडा स्केटिंग रिंक मसूरी में द तो अब इतिहास में सिमट कर रह गया है। 131 साल का इतिहास है वह आज खत्म हो गया मसूरी का कोई भी हो बच्चा बूढ़ा कोई ऐसा व्यक्ति नहीं होगा जिसने यहां पर स्केटिंग ना की हो या वह पर कार्यक्रम में षिरकत करने ना गया हो। ब्रिटिश टाइम से भी लोग आते थे अवध के नवाब, फिल्म अभिेनता और अभिनेत्री देवानंद प्रेमनाथ बीना राय स्केटिग रिंक में स्केटिंग की। लंदन से थिएटर ग्रुप ने इस हाल में शेक्सपियर के कई प्रोग्राम भी आयोजित किये।
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