देहरादून
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षक-शिक्षिकाओं को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि विषम परिस्थितियों एवं दुर्गम क्षेत्रों में विद्यालयी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए महत्वपूर्ण योगदान देने वाले शिक्षक वास्तव सम्मान के अधिकारी हैं। उन्होंने कहा कि ‘‘मैं शिक्षा के क्षेत्र में आपकी सेवाओं और प्रतिबद्धता के लिए प्रदेशवासियों की ओर से आपका आभार व्यक्त करता हूँ’’।
राज्यपाल ने कहा कि गुरु का स्थान सबसे ऊपर है। राज्य शैक्षिक पुरस्कार से चयनित उत्कृष्ट शिक्षक अन्य शिक्षकों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने कहा कि आज के दिन, विशेष रूप से, हर व्यक्ति को अपने विद्यार्थी जीवन की अवश्य ही याद आती है और अपने शिक्षक भी याद आते हैं। अपने गुरुओं को याद करते हुए राज्यपाल ने कहा कि गुरुओं द्वारा दिया गया ज्ञान आज भी मार्गदर्शन और प्रेरणा देता है।
राज्यपाल ने कहा कि समाज एवं राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत को विश्व गुरु और विकसित भारत बनाने की दिशा में शिक्षकों की अहम भूमिका होगी। शिक्षकों से कहा बच्चों के सर्वांगीण विकास का दायित्व आप सभी के कंधों पर ही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में गुणवत्तापरक शिक्षा पर विशेष ध्यान देने के साथ ही नवीन टेक्नोलॉजी को अपनाना जरूरी है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह दिन शिक्षकों के प्रति आदर सम्मान प्रकट करने का दिन है। आज के दिन सम्मानित हो रहे शिक्षकों ने समाज में ज्ञान का संचार एवं अपने अनुभव और मार्गदर्शन से विद्यार्थियों के जीवन को आकार देने का कार्य किया है। भारतीय संस्कृति में गुरु का सर्वोच्च स्थान होता है। शिक्षक हर स्थिति में अपने विद्यार्थी को मार्गदर्शन देने का कार्य करता है। गुरु ही अपने प्रकाश से अंधकार की अज्ञानता को दूर करता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राचीन इतिहास में गुरु शिष्य परंपरा का उल्लेख मिलता है। शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित होने वाले शिक्षक अन्य लोगों को भी प्रेरणा देंगे एवं समाज के लिए रोल मॉडल हैं। गुरु का कार्य शिक्षा देने के साथ ही अपने शिष्य के व्यक्तित्व का निर्माण, अनुशासन एवं समाज के प्रति भावनाओं को जागृत करना भी है। वर्तमान समय में नैतिक शिक्षा की आवश्यकता है। धीरे-धीरे समाप्त हो रहे मूल्यों को पुनः जागृत करने का जिम्मा भी गुरुओं का है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डिजिटल युग में शिक्षकों की भूमिका और बढ़ गई है। तकनीकी विकास और वैश्वीकरण के दौर में शिक्षक, छात्रों को संस्कृति से जोड़ने का कार्य करते हैं। उन्होंने कहा राज्य के विकास और नौनिहालों के भविष्य को बनाने में राज्य सरकार शिक्षकों की हर संभव मदद करेगी। उन्होंने कहा राज्य सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में कई ऐतिहासिक फैसले लिए हैं। राज्य में शिक्षकों के लिए अनुकूल वातावरण बनाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षकों के प्रशिक्षण एवं कौशल विकास के लिए विशेष योजनाएं शुरू की गई हैं। शिक्षकों को नवाचार से जोड़ने पर निरंतर कार्य जारी है। उन्होंने कहा कि राज्य के शिक्षक हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। कोरोना महामारी के दौरान भी शिक्षकों ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूर्ण मनोयोग से किया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने शैलेश मटियानी पुरस्कार के तहत मिलने वाली धनराशि को दस हजार से बढ़ाकर 20 हजार रुपये किए जाने की घोषणा की।
शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने उपस्थित सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि सभी के अथक प्रयासों से राज्य में शिक्षा के स्तर में सुधार हुआ है। इस अवसर पर उन्होंने शिक्षा विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों एवं नवाचारों की जानकारी दी। कार्यक्रम में सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रामन ने सम्मान समारोह में उपस्थित लोगों का स्वागत किया और सम्मान समारोह की विस्तृत जानकारी दी।
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