देहरादून
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में पद्मभूषण एवं पद्मश्री से सम्मानित प्रसिद्ध पर्यावरणविद चण्डी प्रसाद भट्ट ने भेंट की। उन्होंने मुख्यमंत्री से हिमालय के पर्यावरणीय प्रभावों, आपदा की दृष्टि से चारधाम क्षेत्रों तथा अलकनंदा नदी के प्रवाह से होने वाली बाढ़ आदि की घटनाओं के रोकथाम के संबंध में चर्चा की।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने भट्ट की अपेक्षानुसार इसरो के साथ विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों द्वारा पूर्व में चारधाम क्षेत्रों गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ एवं बद्रीनाथ तथा अलकनंदा नदी के जलस्तर पर किये गये अध्ययन रिर्पाेटों पर आपदा प्रबंधन की दृष्टि से आवश्यक कार्यवाही का आश्वासन दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र हैं जिस वजह से हमे कई प्रकार की आपदाओं का सामना करना पड़ता है और इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति एक चिंतनीय विषय है। जोशीमठ में भू धंसाव की समस्या हम सभी के लिये एक उदाहरण है।इस पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण और वैज्ञानिक सुझाव भी आमंत्रित है। राज्य के सतत विकास के लिए समाज के हर क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगों के सुझावों के आधार पर ही आगे के लिए रोडमैप तैयार किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के पास हिमालय के रूप में बड़ी संपदा है। हिमालय देश एवं दुनिया को प्रभावित करता है। हिमालय को सतत विकास की अवधारणा के साथ संरक्षित करने एवं इसको संवर्धित करना एक बड़ा कार्य है। इसमें अनेक सांइंटिफिक इंस्टीट्यूट काफी कार्य कर चुके हैं। इसके लिए साइंटिफिक डेवलपमेंट प्लान जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड हिमालयी राज्य होने के नाते यहां की भौगोलिक परिस्थितियां अलग हैं। आपदा की दृष्टि से उत्तराखण्ड संवेदनशील राज्य है। किसी भी चुनौती से निजात पाने के लिए केन्द्र सरकार का राज्य को हर संभव सहयोग मिलता रहा है। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार भी व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विकास के लिए सबका सहयोग जरूरी है।
पद्मश्री चण्डी प्रसाद भट्ट ने मुख्यमंत्री से हिमालय के पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिये अलग से विभाग बनाये जाने के लिये भारत सरकार से अनुरोध किये जाने की भी मुख्यमंत्री से अपेक्षा की।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी,विशेष प्रमुख सचिव अभिनव कुमार तथा महानिदेशक शिक्षा एवं सूचना बंशीधर तिवारी तथा श्री ओमप्रकाश भट्ट भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने भट्ट की अपेक्षानुसार इसरो के साथ विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों द्वारा पूर्व में चारधाम क्षेत्रों गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ एवं बद्रीनाथ तथा अलकनंदा नदी के जलस्तर पर किये गये अध्ययन रिर्पाेटों पर आपदा प्रबंधन की दृष्टि से आवश्यक कार्यवाही का आश्वासन दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र हैं जिस वजह से हमे कई प्रकार की आपदाओं का सामना करना पड़ता है और इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति एक चिंतनीय विषय है। जोशीमठ में भू धंसाव की समस्या हम सभी के लिये एक उदाहरण है।इस पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण और वैज्ञानिक सुझाव भी आमंत्रित है। राज्य के सतत विकास के लिए समाज के हर क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगों के सुझावों के आधार पर ही आगे के लिए रोडमैप तैयार किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के पास हिमालय के रूप में बड़ी संपदा है। हिमालय देश एवं दुनिया को प्रभावित करता है। हिमालय को सतत विकास की अवधारणा के साथ संरक्षित करने एवं इसको संवर्धित करना एक बड़ा कार्य है। इसमें अनेक सांइंटिफिक इंस्टीट्यूट काफी कार्य कर चुके हैं। इसके लिए साइंटिफिक डेवलपमेंट प्लान जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड हिमालयी राज्य होने के नाते यहां की भौगोलिक परिस्थितियां अलग हैं। आपदा की दृष्टि से उत्तराखण्ड संवेदनशील राज्य है। किसी भी चुनौती से निजात पाने के लिए केन्द्र सरकार का राज्य को हर संभव सहयोग मिलता रहा है। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार भी व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विकास के लिए सबका सहयोग जरूरी है।
पद्मश्री चण्डी प्रसाद भट्ट ने मुख्यमंत्री से हिमालय के पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिये अलग से विभाग बनाये जाने के लिये भारत सरकार से अनुरोध किये जाने की भी मुख्यमंत्री से अपेक्षा की।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी,विशेष प्रमुख सचिव अभिनव कुमार तथा महानिदेशक शिक्षा एवं सूचना बंशीधर तिवारी तथा श्री ओमप्रकाश भट्ट भी उपस्थित थे।
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