देहरादून
Uttarakhand Assembly Winter Session: उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र का आज से आगाज हो गया है। सात दिवसीय शीतकालीन सत्र का पहला दिन हंगामेदार रहा। सत्र के दौरान सदन से लेकर सड़क तक हंगामा देखने को मिला। विपक्ष ने कई मुद्दों को लेकर सरकार पर हमला बोला। इस दौरान प्रदेश में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण को लेकर उत्तराखंड लोक सेवा (महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण) विधेयक 2022 सदन में पेश किया गया। वहीं 5440.43 करोड़ का अनुपूरक बजट भी पेश किया गया। वित्त मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बजट की कॉपी लेकर विधानसभा पहुंचे थे। साथ ही सरकार की तरफ से महिला आरक्षण बिल सदन के पटल पर रखा गया।
उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दौरान सदन ने दिवंगत पूर्व विधायक केदार सिंह फोनिया को श्रद्धांजलि दी। विधानसभा शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस ने सरकार पर जमकर हमला बोला। उत्तराखंड में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर विपक्षी दल भाजपा सरकार पर हमलावर रही। विपक्ष के तीखे प्रहार के बीच सदर की कार्रवाई को बार स्थगित करना पड़ा। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कानून व्यवस्था पर कांग्रेस ने नियम 310 के तहत चर्चा की मांग की। कांग्रेस के कुछ विधायक सदन के बाहर धरने पर बैठ गए।
सदन में प्रश्नकाल के दौरान हल्द्वानी से कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश ने सदन में विशेषाधिकार हनन का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि, विधायक के प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जाता है। उन्हें अपने विधानसभा क्षेत्र में कार्ययोजनाओं से दूर रखा जाता है। ऐसे में उन्होंने इस मसले पर कार्रवाई की मांग उठाई है। लिहाजा, विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि वह इस मामले की जांच के आदेश देते हैं। विधायक का आरोप था कि हल्द्वानी में बड़ी कार्ययोजना योजना तैयार की जा रही है, जिसकी 12 बैठकें हो चुकी हैं और दो बार डीपीआर भी तैयार की जा चुकी है, करीब 800 करोड़ की यह योजना में एक भी बार स्थानीय विधायक को बैठक में नहीं बुलाया गया, जिसको लेकर उन्होंने प्रश्नकाल के दौरान विशेषाधिकार हनन का प्रश्न रखा। उन्होंने कहा कि इस संबंध में तारांकित प्रश्न में जवाब मांगा जाएगा। सदन की कार्यवाही के दौरान हल्द्वानी से कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश के सवाल को स्थगित किये जाने पर विपक्ष नाराज हो गया। सुमित हृदयेश ने रिंग रोड बनाये जाने की मुख्यमंत्री की घोषणा का प्रश्न उठाया था। इस पर सत्ता पक्ष ने कहा कि, रिंग रोड एनएएचआइ के तहत बन रही है।
वहीं विधायक संजय डोभाल वन प्रभागों में दैनिक मजदूरी करने वाले मजदूरों का मामला सदन में उठाया। उन्होंने कहा कि, वर्षों से कम मानदेय पर काम कर रहे इन मजदूरों को नियमित किया जाए।
कांग्रेस विधायक अनुपमा रावत ने राजाजी रिजर्व पार्क में गुज्जरों के पशुओं को चुगान और लोपिंग के परमिट का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि, हरिद्वार ग्रामीण में काफी संख्या में वन गुज्जर लोग रहते हैं, जिनको पशु चुनाग के परमिट नहीं दिए गए हैं।
विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी बोली को लेकर सरकार से पूछा कि, इनके बढ़ावे के लिए क्या तैयारी की जा रही है। भाषा मंत्री सुबोध उनियाल ने प्रादेशिक बोली को लेकर सदन में जवाब दिया, लेकिन विपक्ष के विधायक भाषा मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए।
प्रसाद योजना पर विधायक संजय डोभाल ने धर्मस्व मंत्री से सवाल पूछते हुए कहा कि, यमुनोत्री धाम में प्रसाद योजना के अंतर्गत कितने धन की व्यवस्था की है?
विधानसभा में झबरेड़ा विधायक नरेंद्र ने इकबालपुर नहर परियोजना का मामला उठाया। 2013-14 में रुड़की गंगनहर से निकालकर यह परियोजना स्वीकृत की गई थी। लेकिन यह नहर परियोजना आज तक बनकर तैयार नहीं हुई। इस परियोजना से इस क्षेत्र के तकरीबन 75 गांव सिंचाई से लाभान्वित होंगे। यह परियोजना यूपी-उत्तराखंड के बीच फंसी है।
वहीं सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने सदन में कहा कि टिहरी झील में फैली गंदगी को हटाने के लिए नई व्यवस्था बनेगी। बरसात के सीजन में लकड़ी, जानवरों के शव, कूड़ा करकट हटाने के लिए व्यवस्था बनाई जा रही है।
विधायक विक्रम सिंह नेगी ने टिहरी झील में फैली गंदगी को हटाने को लेकर सवाल पूछा था। कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने विशेषाधिकार हनन का का मुद्दा उठाया। कहा कि, विधायकों के विशेषाधिकार हनन को लेकर सरकार गम्भीर नहीं है।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि, विधायकों के विशेषाधिकार हनन पर पीठ सरकार को निर्देश दे। जिस पर संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि, सदन हर सदस्य का सम्मान करता है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि, हम पूरी तरह से परीक्षण कराने के बाद ही निर्णय लेंगे।
विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव पर जसपुर विधायक आदेश चौहान ने सदन में आपबीती सुनाई। उन्होंने कहा कि, उधम सिंह नगर पुलिस द्वारा उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें इस मामले की जांच का भरोसा दिया है। विधायक आदेश चौहान ने कहा कि अगर कार्रवाई नहीं की गई तो वह आत्मदाह को मजबूर होंगे।
वहीं सत्र शुरू होने से पहले ही किच्छा में कानून व्यवस्था को लेकर विधायक तिलकराज बेहड़ विधान सभा में धरने पर बैठ गए। उन्होंने कहा कि, किच्छा में कानून व्यवस्था ठीक नहीं है। गुंडा गर्दी से लोगों में खौफ का माहौल है। किसानों का शेषण हो रहा है। सरकार को इस पर एक्शन लेना चाहिए।
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने सभी दलों के विधायकों से सदन की गरिमा बनाने के लिए शब्दों और आचरण का ध्यान रखने की अपील की। साथ ही शांतिपूर्ण माहौल में जनहित के मुद्दों पर स्वस्थ चर्चा कर सरकार तक अपनी बात पहुंचाने का आग्रह किया। पहले दिन विभिन्न विभागों से संबंधित 06 संशोधन विधेयक सदन के पटल पर रखे गए। सत्र के लिए विधायकों द्वारा 616 प्रश्न लगाए गए।
सचिव विधानसभा ने राज्य आंदोलनकारियों को क्षैतिज आरक्षण का लाभ देने वाला विधेयक सदन के पटल पर रखा। इसके बाद उत्तराखंड में 6 विधेयक अधिनियम बनाए गए। इनमे उत्तराखंड विनियोग विधेयक 2022 पांचवां अधिनियम बनाया गया। उत्तराखंड अग्निशमन एवं आपात सेवा अग्नि निवारण और अग्नि सुरक्षा (संशोधन) विधेयक 2022 को छठवां अधिनियम बनाया गया। उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि ब्यवस्था अधिनियम, 1950) (संशोधन) विधेयक 2022 सातवां अधिनियम बनाया गया। उद्यम एकल खिड़की सुगमता और अनुज्ञापन (संशोधन) विधेयक 2022 आठवां अधिनियम बनाया गया। औद्योगिक विवाद (उत्तराखंड संशोधन) विधेयक 2020 नवां अधिनियम बनाया गया। उत्तराखंड सिविल विधि (संशोधन) विधेयक 2021 दसवां अधिनियम बनाया गया।
इस दौरान उत्तराखंड (उत्तरप्रदेश भू राजस्व अधिनियम 1901 संशोधन अध्यादेश, 2022 सदन के पटल पर रखा गया। साथ ही उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के विनियमों का संकलन सदन के पटल पर रखा गया। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के वित्तीय वर्ष 2020-2021 के वार्षिक लेख की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी गई। राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र की चीनी मिल किच्छा की वित्तीय वर्ष 2020-21 की वार्षिक लेखा प्रतिवेदन और अनुसूचित जनजाति आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन में सदन के पटल पर रखा गया। पंचायती राज संस्थाओं व शहरी स्थानीय निकायों पर वार्षिक तकनीकी निरीक्षण प्रतिवेदन और उत्तराखंड सेवा का अधिकार आयोग वार्षिक प्रतिवेदन 20-21 सदन के पटल पर रखा गया। उत्तराखंड कैंपा के 2017-18, 2018-19 का लेखा परीक्षा प्रतिवेदन सदन के पटल पर रखा गया। उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (UKPSC ) का 21वां वार्षिक प्रतिवेदन और उत्तराखंड राज्य आंदोलन के चिन्हित आंदोलनकारियों, उनके आश्रितों को राजकीय सेवा में आरक्षण विधेयक 2015 , उत्तराखंड विधानसभा की प्रक्रिया व कार्य संचालन नियमावली के अंतर्गत सदन के पटल पर रखा गया।
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