देहरादून
दून ऑटो-रिक्शा यूनियन ने डीजल और पेट्रोल वाले ऑटो-रिक्शा को सड़कों से बाहर करने के फैसले का विरोध तेज कर दिया है। मंगलवार को हुई यूनियन की बैठक में निर्णय लिया गया कि यदि सरकार उनकी मांग नहीं मानती है तो ऑटो-रिक्शा संचालक बेमियादी हड़ताल के लिए बाध्य होंगे।
चंदरनगर कार्यालय में हुई बैठक में वक्ताओं ने कहा कि आरटीए ने दस साल से अधिक पुराने ऑटो-रिक्शा को मार्च 2023 और शेष वाहनों को दिसंबर 2023 तक सड़क से बाहर करने का फैसला लिया है। जो कि न्यायोचित नहीं हैं। इस फैसले से कई ऑटो-रिक्शा संचालकों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा। फैसले के विरोध में आरटीए अध्यक्ष, परिवहन मंत्री समेत अन्य मंत्रियों को भी पत्र दिया जा चुका है। सीएम को भी पत्र भेजा गया है। ऑटो-रिक्शा संचालक डीजल-पेटोल वाले वाहनों के लिए समय मांग रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हो पाई। जिस कारण अब संचालकों को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। इस मौके पर अध्यक्ष पंकज अरोड़ा, पूर्व अध्यक्ष राम सिंह, राकेश अग्रवाल, केतन सोनकर, भगत, सीपी सिंह आदि मौजूद रहे।
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