हरिद्वार जेल में बंद कैदी रामलीला के माध्यम से दे रहे हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल, कैदियों ने जिला कारागार में किया रामलीला का सुंदर मंचन

हरिद्वार

कहते हैं ईश्वर को जहां पूजा जाए, वे वहीं मिल जाते हैं. चाहे मंदिर हो चाहे घर या फिर जेल. कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म भी जेल में हुआ था. ऐसे में भगवान की लीला का मंचन कर अपराधी के मानसिकता को बदला जा सकता है. इसी को देखते हुए हरिद्वार की जिला कारागार में रामलीला का इस बार आयोजन किया जा रहा है। यहां जेल में बंद कैदी रामायण के किरदारों को बखूबी निभा रहे हैं। इस रामलीला की खासियत ये भी है कि इसमें ना सिर्फ हिंदू बल्कि मुस्लिम कैदी भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।

शहजाद, कैदी मुस्लिम कलाकार(रावण)

इन दिनों सभी जगहों पर रामलीलाएं चल रही है। कलाकार मंचो पर रामायण के किरदारों का अभिनय कर रहे हैं। जेल के कैदी ही राम, लक्ष्मण, रावण, हनुमान जैसे सभी पात्रों को बखूबी निभा रहे हैं। खास बात है कि रामलीला में हिस्सा ले रहे सिर्फ हिंदू ही नहीं है बल्कि मुस्लिम या दूसरे धर्मों के कैदी भी सनातनी परंपरा में शामिल हो रहे हैं।

अतुल,कैदी कलाकार (राम)

जेल प्रशासन की ओर से भी रामलीला के लिए पूरी व्यवस्थाएं की गई हैं। कैदी पिछले 1 महीने से रामलीला की रिहर्सल में जुटे हुए थे। जेल अधीक्षक मनोज कुमार आर्य का कहना है कि जेल के माहौल में सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधि होने से यहां का माहौल सकारात्मक बनता है और कैदी भी महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेते हैं। वही जिला कारागार की रामलीला देखने पहुंचे अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी भी कलाकारों के प्रदर्शन से खासे उत्साहित नजर आए। रविंद्र पुरी ने कहा कि जेल अधीक्षक मनोज कुमार आर्य के प्रयासों से हरिद्वार जिला कारागार का माहौल सकारात्मक बना हुआ है। जेल अधीक्षक सभी कैदियों की अपने परिवार के सदस्यों की तरह देखभाल करते हैं। उन्हीं के सहयोग से कैदियों को भी भगवान की भक्ति करने का अवसर मिल रहा है।

जेलों का माहौल नकारात्मक और तनावपूर्ण होता है। ऐसे में हरिद्वार जिला कारागार में सभी त्योहारों पर आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों से यहां बंद करीब 12 सौ कैदियों का जीवन तनाव मुक्त हो रहा है। साथ ही जेल से बाहर निकल कर उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनकर जीने की प्रेरणा भी मिल रही है।

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