देहरादून
आंगनवाड़ी संयुक्त संघर्ष मोर्चा की बैठक आयोजित की गई जिसमें समस्त संगठनों के प्रदेश पदाधिकारियों ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की समस्याओं पर चर्चा की। सभी संगठनों के पदाधिकारियों की सहमति से 20 सितंबर को यहां डेट फिक्स कर, यह महारैली आयोजित की जा रही है। उत्तराखंड राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ की प्रदेश महामंत्री सुशीला खत्री ने कहा कि बहुत समय से आंगनवाड़ी केंद्रों को संचालित करने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।जैसे, भवन किराए की समस्या,टाइम से मानदेय न मिलने की समस्या,
परियोजनाओं से मिलने वाली सामग्री ढुलाई में खर्च होने वाली धनराशि की समस्या,
पोषण ट्रैकर एप में डाटा फीड नहीं होने की समस्या,
रिचार्ज करवाने की समस्या,
T,h,R की धनराशि खातों में ना होने पर भी उधार राशन बांटने की समस्या,
विभाग द्वारा घटिया ड्रेस वितरण किए जाने की समस्या, मेराकी के अंतर्गत अभिभावकों को लिंक भेजना और उन पर दबाव डालना कि रोज वीडियो देखो, और व्यूज भेजने की समस्या, नंदा गौरा योजना में अभी तक आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों की बेटियों को योजना का लाभ नहीं दिए जाने की समस्या, ((जी ओ जारी नहीं किया गया)
मानदेय किस महीने का दिया जा रहा है पासबुक में महा अंकित नहीं होता जिससे यह पता नहीं चलता कि किस महीने का मानदेय आया है , बी एल ओ का (निर्वाचन) कार्य ऑन लाइन करने की समस्या, साथ ही कोई फिक्स मानदेय तय ना किए जाने की समस्या,(रिचार्ज की कोई सुविधा नहीं) यह एक बड़ी समस्या है, मैंने आंगनबाड़ियों के उच्चारण किस जो लंबे समय से मांग की जा रही है,
जब आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से अन्य विभागों का कार्य सौंपा जाता है तो, हमारा बाल विकास विभाग, उस विभाग से पहले हमारा मानदेय क्यों नहीं तय कराता, और जब हम दूसरे विभागों का कार्य करते हैं तो हमें अपने विभाग से उतने दिन के लिए कार्यमुक्त क्यों नहीं किया जाता, एक साथ विकलांग सर्वे ,ओबीसी का सर्वे ,बीएलओ का सर्वे, और अपने विभाग के कार्य, आंगनवाडी कार्यकत्री को पागल बना रखा है।
सेनेटरी नैपकिन की समस्या एक ही स्कीम को दो विभागों में क्यों चला रही है सरकार,जब आशा कार्यकत्री निशुल्क नैपकिन बांट रही है तो आंगनवाड़ी केंद्रों को यह जिम्मेदारी क्यों दी जा रही है।
अभी-अभी आदेश जारी कर दिया की कुकड़ू फूड योजना और टेक होम राशन की योजना केवल उन बच्चों को मिलेगी जिन बच्चों के आधार कार्ड हैं तो फिर यह नियम बाल प्लस योजना के लिए भी होना चाहिए।
मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के केंद्रों के उच्च करण की समस्या,
इसके अलावा भी बहुत सारी समस्याएं हैं ।
बहनों जैसा कि आप लोग जानते हो कि हमारे संगठन उत्तराखंड राज्य आंगनवाड़ी कर्मचारी संघ द्वारा,
13, जून को निदेशालय में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन है किया गया था। और उससे पूरे विभाग में हड़कंप मच गया था विभागीय सचिव और मंत्री ने डीपीओ और सीडीपीओ की बैठक ली और कड़े निर्देश दिए कि जिन जिलों में समस्याएं हैं वह जिला स्तर पर ही उनको सुलझाएं, कुछ समस्याएं इन 2 माह में विभाग में सुलझाने का प्रयास तो किया मगर अभी तक जो जरूरी है कार्य थे उनका जीओ जारी नहीं हुआ है, मेरा आप सभी संगठन की बहनों से निवेदन है कि हम सब एकजुट होकर लड़ाई लड़नी होगी, तभी हमें इन से मुक्ति मिलेगी, नहीं तो सरकार योजनाएं चलती रहेंगी, नई नई योजनाएं लाती रहेंगी और हम लोग काम के बोझ के तले दबते चले जाएंगे।ये सरकार तनाशाही,और हिटलरशाही बन चुकी है,और अधिकारी बेलगाम हो गए हैं,
मानदेय का पैसा विभाग के पास पड़ा रहता है, यह लोग बैंकों से ब्याज खाने में लगे रहते हैं और हम आंगनवाड़ी हैं दयनीय और तनाव का जीवन जीने पर मजबूर है ऐसे कर्मचारियों का विभाग पर होना भी हम सबके लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। सबको विभाग में जो खामियां हैं उनके लिए आवाज उठानी पड़ेगी, इसके लिए हम सबका एक होना बहुत जरूरी है, सरकार हमारे बीच फूट डालो राज करो की नीति चल रही है।
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