उत्तरकाशी: जिले में बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं के चलते गर्भवती महिलाओं का मौत का सिलसिला जारी है। सोमवार रात्रि को सरनौल गांव की गर्भवती ललिता रावत नौगांव समुदाय स्वास्थ्य केंद्र में आई जहां प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं है।मंगलवार सुबह उन्हें देहरादून के लिए रेफर किया जा रहा था कि महिला ने अस्पताल में ही दम तोड़ दिया। इधर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. केएस चौहान ने बताया कि महिला अपने मायके पुरोला से नौगांव समुदाय स्वास्थ्य केंद्र में आई थी लेकिन महिला का पहला बच्चा बीते साल ऑपरेशन से हुआ था। इस समय गर्भवती आठवां महीना था और उसकी बच्चेदानी से फटने से मौत हो गई।गौरतलब है कि बीते वर्षों भी पुरोला सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में गर्भवतियों ने दम तोड़ दिया है जिससे कि क्षेत्र में दहशत का माहौल बन गया था।उत्तरकाशी जिले में पौने दो लाख महिलाओं पर मात्र दो प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञऐसे में शायद ही इन मौतों के पुख्ता आंकड़े नीति नियंताओं और हुक्मरानों के पास होंगे प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था का क्या हाल है। ये आंकड़े इस बता रहे कि जिला उत्तरकाशी में 1 लाख 87 हजार 327 महिलाओं पर मात्र दो प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं। ऐसे में पहाड़ में गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिलने की उम्मीद करना वर्तमान में बेकार साबित होगी।गौरतलब है कि जिला मुख्यालय स्थित महिला अस्पताल में 3. प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ के पद सृजित हैं। लेकिन वहां केवल एक ही स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर तैनात है।जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चिन्यालीसौड़ बड़कोट, नौगांव, पुरोला में 4 पद स्त्री रोग विशेषज्ञ सहित कुल 7 पद सृजित हैं। जबकि धरातल पर यहां महज एक स्त्री रोग विशेषज्ञ की तैनात पुरोला में है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ केएस चौहान ने बताया कि वर्तमान में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नौगांव, बड़कोट, चिन्यालीसौड़ में एक भी गायनेकोलॉजिस्ट (महिला विशेषज्ञ) डॉक्टर नहीं।प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी महिला चिकित्सक नहीं हैं। यही कारण है कि जनपद में गर्भवती महिलाओं और नवजात के दम तोड़ने का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है।रवांई – जौनपुर, बावर 200 किमी क्षेत्र में मात्र एक गायनेकोलॉजिस्ट, 3 सालों में 41 गर्भवती की मौतें हुई हैं।यमुना घाटी क्षेत्र का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि रवांई- जौनपुर, बावर 200 किलोमीटर के क्षेत्रफल में महज एक महिला विशेषज्ञ डॉक्टर हैं। गर्भवती माता बहने बेमौत मर रहे हैं। बड़कोट, नौगांव, चिन्यालीसौड़ आदि क्षेत्रों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिर्फ रेफर सेंटर बनकर रह गए हैं और रेफर करने के बाद यहां की माता बहनें आधे रास्ते में ही दम तोड़ देती हैं। उन्होंने कहा है कि पिछले 3 सालों में जो सरकारी रिकॉर्ड बता रहे हैं। उनमें 41 गर्भवती को मौत हो चुकी है।
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