ऋषिकेश में रिवर राफ्टिंग को बंद करने का काउंटडाउन शुरू

ऋषिकेश: योग नगरी में होने वाली रिवर राफ्टिंग के शौकीनों की सुरक्षा के दृष्टिगत मानसून सत्र को देखते हुए 30 जून से 31 अगस्त तक गंगा में रिवर राफ्टिंग की गतिविधि को बंद करने का काउंटडाउन शुरू हो गया है।लिहाजा गंगा की लहरों में राफ्टिंग के रोमांच के लिए अब दस दिन का समय ही शेष रह गया है। यदि आप भी गंगा में राफ्टिंग का शौक रखते हैं तो राफ्टिंग सत्र के यह आखिरी दिन आपकी हसरत को पूरा कर सकते हैं। इस सत्र में अब तक सवा चार लाख लोग गंगा में रिवर राफ्टिंग का लुत्फ उठा चुके हैं।उल्लेखनीय है कि गंगा में 40 किलोमीटर लंबा कौड़ियाला-मुनिकी रेती ईको टूरिज्म जोन रिवर राफ्टिंग के लिए विश्व भर में पहचान बना चुका है। तीन दशक पूर्व शुरू हुआ राफ्टिंग का सफर अब खूब फल-फूल गया है। वर्तमान में करीब ढाई सौ से अधिक कंपनियों की साढ़े छह सौ राफ्टें गंगा में संचालित हो रही हैं। करीब 10 हजार लोग परोक्ष जबकि इससे अधिक लोग अपरोक्ष रूप से राफ्टिंग व्यवसाय से अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं। गंगा की लहरों पर रोमांच का सत्र हर वर्ष एक सितंबर को शुरू होता है और मानसून काल में 31 जून को दो माह के लिए बंद हो जाता है। राफ्टिंग के लिए सर्वाधिक पर्यटक स्थानीय के अतिरिक्त, दिल्ली, एनसीआर, पश्चिमी उत्तरप्रदेश, हरियाणा तथा पंजाब से पहुंचते हैं। जबकि देश के अन्य राज्यों तथा विदेशों से भी खासी संख्या में पर्यटक राफ्टिंग के लिए पहुंचते हैं। हालांकि इस वर्ष विदेशी पर्यटकों की संख्या बेहद कम रही।कोरोना महामारी के चलते राफ्टिंग व्यवसाय पिछले दो वर्षों में प्रभावित रहा। मगर, व्यवसाय के लिहाज से यह यह सत्र बेहद उत्साहजनक रहा। इस सत्र में अब तक करीब सवा चार लाख पर्यटक गंगा में राफ्टिंग का लुत्फ उठा चुके हैं। इस वर्ष पिछले वर्षों की तुलना में सर्वाधिक पर्यटक राफ्टिंग के लिए पहुंचे हैं। इससे पूर्व वर्ष 2018-19 के सत्र में कुल करीब साढ़े तीन लाख पर्यटकों ने राफ्टिंग का लुत्फ उठाया था। राफ्टिंग ही नहीं बल्कि कैंपिग के लिए भी बड़ी संख्या में तीर्थयात्री ऋषिकेश और आसपास के क्षेत्र में पहुंचते हैं। दो वर्ष ठप रहे कैंपिग व्यवसाय को भी इस बार राफ्टिंग से संजीवनी मिली है।राफ्टिंग संचालन के लिए पर्यटन विभाग की ओर से प्रतिवर्ष परमिट जारी किए जाते हैं। वर्ष 2013 की आपदा में 16-17 जून को गंगा में आई बाढ़ के बाद राफ्टिंग व्यवसाय को खासा नुकसान पहुंचा था। तब 16 जून को ही राफ्टिंग पर ब्रेक लग गए थे, जबकि इसके बाद वर्ष 2014 में पर्यटन विभाग ने सिर्फ 15 जून तक के लिए ही परमिट जारी किए। वर्ष 2015 में भी 15 जून को ही राफ्टिंग पर रोक लगा दी गई थी। मगर मानसून के विलंब से पहुंचने पर बाद में आखिरी चार दिनों के लिए फिर से राफ्टिंग खोल दी गई थी। वर्ष 2016 के बाद पर्यटन विभाग की जो परमिट जारी किए जा रहे हैं, उनमें 31 जून तक की अनुमति सशर्त दी जा रही है। इसके तहत गंगा का जलस्तर बढ़ने पर स्वत: ही राफ्टिंग को बंद कर दिया जाता है। इस वर्ष अभी तक गंगा का जलस्तर राफ्टिंग के अनुकूल बना हुआ है, जिससे 31 जून तक राफ्टिंग सत्र जारी रहने की उम्मीद है।अभी तक गंगा का जलस्तर राफ्टिंग के अनुकूल बना हुआ है, यदि मौसम ठीक रहा और गंगा का जलस्तर न बढ़ा तो 31 जून तक राफ्टिंग सत्र जारी रहेगा। हालांकि पर्यटन विभाग जलस्तर पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। यदि जलस्तर बढ़ता है तो तत्काल राफ्टिंग काे रोक दिया जाएगा। इस वर्ष राफ्टिंग के लिए पहुंचने वाले पर्यटकों के आंकड़े बेहद उत्साहजनक रहे हैं।जिला साहसिक पर्यटन अधिकारी, टिहरी गढ़वाल केएस नेगी ने बताता कि पिछले सत्र में राफ्टिंग के लिए पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या सितंबर 2021 में 11517,अक्टूबर 2021में 32599 ,नवंबर 2021 में 37353, दिसंबर 2021 में 28865, जनवरी 2022 में12709, फरवरी 2022 में 16642, मार्च 2022 में 75548, अप्रैल 2022 में 83834, मई 2022 में 87385, जून अब तक में 40500 रही जबकि कुल संख्या, 426952 थी ।

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