देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन गुरुवार को प्रश्नकाल से सदन की कार्यवाही शुरू हुई। इस दौरान सदन नेता पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे।गुरुवार को कांग्रेस विधायक अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के खिलाफ एक फिर से मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस विधायक सदन के गेट के बार तख्ती लेकर धरने पर बैठ गए। उन्होंने आरोप लगाया कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में धांधली की वजह से युवाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा है। कांग्रेस विधायकों ने इस प्रकरण की सीबीआई जांच की मांग की है।इससे पहले बुधवार को उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी सदन में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पर परीक्षा में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। गुरुवार सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू हुई। विधानसभा अध्यक्ष ने नियम 58 के तहत चर्चा के आश्वासन के बाद विपक्षी विधायक माने। फिर प्रश्नकाल के साथ सदन कार्यवाही शुरू हुई। प्रश्नकाल में चकराता विधायक प्रीतम सिंह सहित अन्य सदस्यों के निशाने पर वन मंत्री सुबोध उनियाल रहे। विपक्ष वनाग्नि घटना और रोकथाम को लेकर सरकार को घेरा गया। जिस मंत्री वनाग्नि को जलवायु परिवर्तन का प्रभाव बताया। इस पर कांग्रेस विधायक नाराजगी जाहिर करते हुए उत्तर से असंतुष्ट दिखे। मंत्री ने कहा कि साल 2020 में कोरोना बंदी के दौरान वनाग्नि की घटना कम हुई। वन मंत्री ने कहा अब तक इस फायर सीजन में 3343.85 हेक्टेयर वन क्षेत्र वनाग्नि से प्रभवित हुआ।कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने सदन में सहकारिता विभाग में चतुर्थ श्रेणी पदों पर भर्ती का मुद्दा उठाया। इसका उत्तर देते हुए मंत्री ने आंकड़े रखते हुए कहा कि विभाग में पारदर्शी से नियुक्तियां हुई हैं। सहकारिता विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की नियुक्ति बैंक बोर्ड करते हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में हमारे सरकार में आने के बाद से पारदर्शी नियुक्तियां की और 50 नंबर की मार्किंग हाईस्कूल की रैंकिंग के आधार पर तय की है। इसके साथ ही खिलाड़ियों के लिए भी प्रावधान किये गए है। वर्ष 2016 में जिला सहकारी बैंक हरिद्वार में नियुक्तियां हुई हैं। उस दौरान किसकी सरकार थीं, सब जानते हैं। नियुक्तियों की शिकायत के आधार पर जांच हुई तो कई तथ्य सामने आए। वर्ष 2016-17 हरिद्वार के जीएम के खिलाफ कारवाई की गई। अगर विपक्ष चाहता है कि एसआईटी जांच करवाई जाए तो हम कराने के लिए तैयार हैं। कांग्रेस विधायक अनुपमा रावत ने वन गुर्जरों को भूमिधरी अधिकार देने का प्रश्न उठाया। इसका जवाब देते हुए वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि वन भूमि पर किसी को भूमिधरी का अधिकार नहीं दिया जा सकता। वन गुर्जरों को कार्य व रहने के लिए भूमि दी गई है।
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